Rango Ka Tyohar HOLI | होली Kyun Manate Hai
HOLI | होली
हेलो दोस्तो आज हम जानेंगे की होली क्यों मानातें हैं और इसकी शुरूवात कहाँ से हुई। साथ ही इस त्यौहार में रंगों का प्रयोग कब से होने लगा। इस त्यौहार के कुछ हानियाँ भी होती हैं जिसके बारे में आज हम जानेंगे।
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HAPPY-HOLI |
Holi क्या हैं? -
होली एक प्राचीन भारतीय त्यौहार है और इसे फाल्गुन के महीने के पुर्णिमा को मनाया जाता है। होली के एक दिन पहले, रात्री को Holika Dahan किया जाता हैं। इस त्यौहार को भी बुराई में अच्छाई की जित माना जाता है।
होलिका दहन में लोग एक निश्चित स्थान में लकड़ी को इक्ट्टा करके इन लकड़ी को जमाया जाता है फिर इस लकड़ीओं के डेर को विधि-विधान सहित प्रज्वलित किया जाता हैं।
इस जलते हुए अग्नि में लोग यह भावना करके नारियल भी डालते हैं कि हमारे अंदर जितनी भी बुराईयाँ है वो नष्ट हो जाए। Holika Dahan के बाद सुबह से होली खेलना शुरू करते हैं। बच्चे Holi Festival के लिए बहुत उत्सुक होते हैं और उन्हें होली खेलना बहुत पसंद आता हैं वे एक दूसरे पर बहुत रंग लगाते हैं।
तथा बच्चो के साथ-साथ बड़े बुर्जुग और लड़के, लड़कियाँ भी रंगों में धमाल मचा देती हैं। मिट्टाईयाँ भी इस दिन बहुत बनती हैं। संगीत, डोलक बाजा इस दिन विशेष होता है। कई लोग होली पर बहुत मस्ती करते हैं और वे अपने मित्रों के घर जाकर भी होली खेलते हैं और एक-दूसरे को Holi Wish करते हैं।
होली क्यों मनाते हैं? –
Holi मनाने के पीछे एक रोचक कहानी है, एक राजा जिसका नाम हिरणयकश्प था वह बहुत ही दूष्ट और पापी राजा था। हिरणयकश्यप घोर तप्सया करके भगवान से ऐसा वर्दान माँगता की संसार की कोई शस्त्र मुझे न मार पाये और न ही मैं आकाश में मरों न ही धरती पर मुझे कोई नहीं मार पाये। यहाँ तक कि कोई जीव भी। इस वर्दान के घमंड से वह अपने आप को भगवान मानने लगा और अपने प्रजाओं को स्वंय को भगवान की तरह पुजने को कहता था। लेकिन हिरणयकश्यप का पुत्र प्रह्लाद जो विष्णु भक्त था और वह अपने पिता कि पुजा नहीं करना चाहता था।
इस वजह से हिरणयकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका (Holika) से कहता है कि तुम प्रह्लााद को पकड़कर चिता पर बैठ जाओ फिर उसमें आग लगा दिया जाएगा जिससे प्रह्लााद की मृत्यु हो सके। होलिका को अग्नि में न जलने का वर्दान प्राप्त था लेकिन विष्णु भक्त प्रह्लााद भगवान विष्णु की कृपा से बच गये और होलिका स्वयं अग्नि में जल कर भस्म हो गयी।
और अंत में भगवान विष्णु नरसिंह का वतार लेकर खम्भे से बहार निकलते हैं और हिरणयकश्यप का वध करते हैं। इसी कारण Holi व Holika Dahan मनाते हैं जो कि बुराई पर अच्छाई पर जित है।
होली में रंगों का प्रयोग कब से शुरू हुआ? –
माना जाता है कि भगवान कृष्ण होली रंगों से खेला करते थे। वे बहुत ही शरारती व नटखट थे साथ ही वे अपने मित्रो व गोपियों को भी रंग लगाते थे। तब से होली में रंगों का प्रचलन हो रहा है।
होली खेलने के हानि –
पुराने जमाने में होली के रंग चंदन तथा प्राकृतिक चिजो से बनते थे लेकिन आज रासायनिक पदार्थ से बनते है जो कि हमारे शरीर व स्वास्थय के लिए बहुत हानि कारक होता है।
होली खेलते समय क्या-क्या सावधनियाँ रखनी चाहिए –
होली खेलने से पहले स्वयं के त्वचा पर तेल लगा ले चाहिए जिससे की रासायनिक रंग आपके त्वचा पर कोई प्रभाव न करें।
आँखों पर रंग जाने न दें और होली खेलने के बाद अच्छे से नहा-धो ले। शराब व अन्य नशो का प्रयोग न करें क्योंकि इस दिन लोग जोश-जोश में होश खो बैठते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
Rango Ka Tyohar HOLI | होली Kyun Manate Hai -आशा करता हूँ की यह लेख आपको अच्छी लगी होगी और इस लेख में किसी प्रकार की मात्राओं की गलती पर क्षमा करें। अगर आपके पास कोई सुझाव है तो हमें नीचे Comment कर सकते है। ऐसे ही लेख और पढ़ाई से रेलेटिव पोईंट, Gk , और अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारे Site – www.learngyan.in पर फिर आइएगा। धन्यवाद!
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